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Concept of economic/ Collection of data/Notes with Pdf /Chapter-2 Class- 11


आर्थिक सांख्यिकी 

अध्याय - 2 आँकड़ों का संकलन


Q1. आँकड़े से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: आँकड़ों से तात्पर्य उन संख्यात्मक तथ्यों से है जो पर्याप्त सीमा तक अनेक प्रकार के कारणों से प्रभावित होते हैं।


 Q2. प्राथमिक आँकड़े का अर्थ बताइए?

उत्तर: जो आँकड़े अनुसंधान की क्रिया में प्रथम बार आरम्भ से अन्त तक बिल्कुल नए सिरे से एकत्रित किए जाते हैं, प्राथमिक आँकड़े कहलाते हैं।


Q3. द्वितीयक आँकड़े से क्या अभिप्राय है?

उत्तर: जो आँकड़े अनुसंधानकर्ता स्वयं एकत्रित न करके किसी अन्य अनुसंधानकर्ता द्वारा एकत्रित आँकड़ों का प्रयोग करता है, द्वितीयक आँकड़े कहलाते हैं।


Q4. सांख्यिकी में 'जनसंख्या का अर्थ लिखो?

उत्तर: सांख्यिकी में किसी विषय से संबंधित सभी मदों के उस समूह को जनसंख्या या समग्र कहा जाता है जिसके विषय में जानकारी प्राप्त करनी होती है।


Q5. प्रतिदर्श से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: प्रतिदर्श आँकड़ों का ऐसा छोटा समूह है जो किसी समग्र का प्रतिनिधित्व करता है तथा उसी के आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं 


Q6. NSSO क्या है?

उत्तर: राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन एक बड़ा संगठन है जो नियमित सामाजिक आर्थिक सर्वे करता है।


Q7. प्रतिदर्श त्रुटियाँ किसे कहते हैं?

उत्तर: प्रतिदर्श त्रुटियाँ, प्रतिदर्श आंकलन तथा समष्टि विशेष के वास्तविक बीच का अन्तर प्रकट करती है।


Q8. अप्रतिदर्श त्रुटियाँ क्या होती है ?

उत्तर: अप्रतिदर्श त्रुटियाँ वे त्रुटियाँ होती है जो सांख्यिकीय आंकड़ों के प्राप्त करने रिकार्ड करने अथवा सारणीयन करने के दौरान होता है।


Q9. आंकड़ों के दो मुख्य स्रोत लिखिए।

उत्तर: (i) प्राथमिक स्रोत 

        (ii) द्वितीय स्रोत


Q10. प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान किसे कहते हैं।

उत्तर: यह अनुसंधान विधि है जिसमें अनुसंधानकर्ता द्वारा व्यक्तिगत रूप से आंकड़ें एकत्र किये जाते है।


 Q11.यादृच्छिक प्रतिचयन को परिभाषित कीजिए।

 उत्तर: यह अनुसंधान विधि है जिसमें अनुसंधानकर्ता द्वारा व्यक्तिगत रूप से आंकड़ें एकत्र किये जाते है।


Q12. द्वितीयक आंकड़ों के दो स्रोत लिखिए।

उत्तर: यादृच्छिक प्रतिचयन में प्रत्येक व्यक्ति के चुने जाने की संभावना समान होती है।


Q13. प्राथमिक और द्वितीयक आँकड़ों में अन्तर स्पष्ट कीजिये?

उत्तर:  प्राथमिक आँकड़े


1. प्राथमिक आँकड़े वे होते हैं जो अनुसंधानकर्ता द्वारा अपने उद्देश्य के लियें सर्वप्रथम स्वयं एकत्रित किये जाते हैं।

2. प्राथमिक आँकड़ें मौलिक होते हैं क्योंकि अनुसंधानकर्ता स्वयं उनके मौलिक स्रोत से एकत्रित करता है।

3. प्राथमिक आँकड़ों को एकत्रित करने में अधिक धन समय और परिश्रम की आवश्यकता होती है।

4. यदि अनुसंधानकर्ता ग्यारहवी कक्षा के विद्यार्थियों से

पूछकर अर्थशास्त्र विषय की अंक सूची बनाता है तो इस तरह से प्राप्त आँकड़े प्राथमिक आंकड़े माने जायेंगे।


द्वितीयक आँकड़े 


1. द्वितीयक आँकड़े वे होते हैं जो पहले एकत्रित किये जा चुके होते हैं। ये किसी दूसरे उद्देश्य के लिय किसी अन्य संस्था द्वारा संग्रहित किये हुये होती है।

2. द्वितीयक आँकड़े मौलिक नहीं होते क्योंकि अनुसंधानकर्ता उन्हें अन्य व्यक्तियों अथवा संस्थाओं के अभिलेखों से प्राप्त करता है।

3. द्वितीयक आँकड़ों को एकत्रित करने में अपेक्षाकृत कम धन, समय और परिश्रम की आवश्यकता होती है।

4. यदि अनुसंधानकर्ता कक्षा अध्यापक के माध्यम से स्कूल रिकार्ड जैसे अंक सूची या रिजल्ट रजिस्टर से जानकारी प्राप्त करके ग्यारहवीं कक्षा की अर्थशास्त्र की अंक सूची बनाता है तो यह द्वितीयक आँकड़े माने जायेंगे।


Q14. प्राथमिक आँकड़े एकत्र करने की वैयक्तिक साक्षात्कार विधि क्या है ? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजियें ?

उत्तर: वैयक्तिक साक्षात्कार विधि :- यह विधि तभी उपभोग में लाई जाती है जब शोधकर्ता सभी सदस्यों के पास जा सकता हो। इसमें शोधकर्ता आमने सामने होकर उत्तरदाता से साक्षात्कार करता है। शोधकर्ता को यह अवसर मिलता है कि वह उत्तरदाता को अध्ययन के उद्देश्य के बारे में बता सके तथा उत्तरदाता की किसी भी पूछताछ का जवाब दे सके।


गुण-

1. इस विधि से उच्चतम अनुक्रिया दर प्राप्त होती है।

2. इससे गलत व्याख्या तथा गलतफहमी से बचा जा सकता है।

3. उत्तरदाता की प्रतिक्रियाओं को देखकर कुछ संपूरक सूचनाये भी प्राप्त हो सकती है।

4. अस्पष्ट प्रश्नों के लिये स्पष्टीकरण का अवसर मिलता है।


दोष-

1. यह काफी खर्चीली होती है।

2. इसमें प्रशिक्षित साक्षात्कार कर्त्ताओं की जरुरत होती है।

3. इसमें सर्वेक्षण पूरा करने में काफी समय लगता है।

4. कभी कभी शोधकर्ता की उपस्थिति के कारण उत्तरदाता सही बात नहीं भी बताते।


Q15. जनगणना (संगणना) एवं प्रतिदर्श (निदर्शन) विधि में अन्तर कीजियें ?

उत्तर:  जनगणना एवं प्रतिदर्श विधि में अन्तर :-

1. जनगणना विधि के अन्तर्गत सभी इकाईयों/व्यष्टियों को सम्मिलित किया जाता है।

2. चूंकि जनगणना विधि के अन्तर्गत सभी इकाईयों का अध्ययन किया जाता है इसलिए उच्च स्तर की परिशुद्धता पायी जाती है।

3. इस विधि में सभी इकाईयों का अध्ययन किया जाता है इसीलिये यह बहुत ही खर्चीली है। इसमें समय और श्रम भी अधिक लगता है।

4. जहां समग्र की इकाइयां विजातीय होती है वहां जनगणना विधि ही उपयुक्त होती है।

5. जहां अनुसंधान का क्षेत्र तुलनात्मक रुप से छोटा हो वहां जनगणना विधि उपुयक्त होती है।


प्रतिदर्श विधि:


1. प्रतिदर्श, समष्टि से चयनित किया गया एक छोटा समूह होता है जिसके द्वारा संबंधित सूचनाएं प्राप्त की जा सकती है।

2. चूंकि प्रतिदर्श विधि के अन्तर्गत केवल प्रतिनिधित्व इकाईयों का ही अध्ययन किया जाता है इसीलिए कम परिशुद्धता होती है। यद्यपि त्रुटियों की पहचान आसानी से करने के पश्चात उन्हें दूर किया जा सकता है।

3. इस विधि में केवल प्रतिनिधित्व इकाइयों का ही अध्ययन किया जाता है इसलिए यह विधि कम खर्चीली है। इसमें समय और श्रम भी कम लगता है।

4. जिन परिस्थितियों में संगणना विधि का प्रयोग नहीं किया जा सकता वहां प्रतिदर्श विधि की सहायता से ही सूचनायें प्राप्त की जाती है।

5. जहां समग्र की इकाइयां सजातीय होती हैं वहां प्रतिदर्श विधि ही उपयुक्त होती है।


Q16. प्राथमिक आँकड़ों की परिभाषा दीजिए।

उत्तरः प्राथमिक आँकड़े वे आँकड़े हैं जो अनुसंधानकर्ता अपने उद्देश्य के अनुसार पहली बार आरंभ से अंत तक एकत्रित करता है। ये आँकड़े उद्गम स्थान से एकत्रित किए जाते हैं।


Q17. द्वितीयक आँकड़ों की परिभाषा दीजिए।

उत्तरः वैसेल के अनुसार, “जो आँकड़े दूसरे व्यक्तियों द्वारा एकत्रित किए जाते हैं उन्हें द्वितीयक आँकड़े कहा जाता है।'' चूंकि ये आँकड़े पहले ही अन्य व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा एकत्रित किए जा चुके होते हैं इसलिए अनुसंधानकर्ता केवल उनका प्रयोग करता है।


Q18. आँकड़ों के स्रोत कौन-कौन से हैं?

उत्तरः आँकड़ों के दो स्रोत हैं:

(i) आँकड़ों का प्राथमिक स्रोत, जिससे अभिप्राय उद्गम के स्रोत से आँकड़ों के संकलन से है। आपके सांख्यिकीय अध्ययन से संबंधित यह आपको सीधी या प्रत्यक्ष मात्रात्मक सूचना प्रदान करते हैं।

(ii) आँकड़ों का द्वितीयक स्रोत, जिससे अभिप्राय किसी उस एजेंसी या संस्था से आँकड़ों के संकलन से है जिसने पहले से ही सांख्यिकीय सर्वेक्षण द्वारा यह आँकड़े एकत्रित किए हुए हैं।


Q19. द्वितीयक आँकड़ों के दो मुख्य स्रोतों के नाम बताइए।

उत्तरः (i) सरकारी प्रकाशन: भारत की केंद्रीय तथा राज्य सरकारों के मंत्रालय तथा विभाग विभिन्न विषयों से संबंधित आँकड़े प्रकाशित करते रहते हैं।

(ii) अर्द्ध-सरकारी प्रकाशनः अर्द्ध-सरकारी संस्थाएँ (जैसे नगरपालिकाएँ, नगर निगम, जिला परिषद् आदि) भी कई मदों जैसे जन्म-मरण, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि से संबंधित आँकड़े प्रकाशित करती रहती हैं।


Q20. रेल्वे विभाग द्वारा रेलवे को प्रगति के विषय में जन आंकड़ों का प्रकाशन किया जाता है एक अनुसंधानकर्ता के लिए ये आँकड़े किस प्रकार के होंगे?

उत्तर: रेलवे विभाग द्वारा रेलवे की प्रगति के विषय में जिन आँकड़ों का प्रकाशन किया जाता है एक अनुसंधानकर्ता के लिए उन्हें द्वितीयक अंकड़े माना जाएगा।


Q21. कुछ वे पैरामोदर तथ्य लिखे जिन पर भारत को जनगणना संबंधी सांख्यिकीय सूचना प्रकाशित होती है।

उत्तर: (1) भारत में संख्या का आकार, वृद्धि दर तथा वितरण।

(ii) जनसंख्या प्रक्षेपण

(iii) जनसंख्या का घनत्व।

(iv) जनसंख्या की लिंग संरचना।


Q22.  एक अच्छी प्रश्नावली के गुण कौन-कौन से हैं?
उत्तरः (i) अन्वेषक का परिचय तथा अन्वेषक के उद्देश्य का विवरण।
(ii) प्रश्नावली बहुत लम्बी न हो।
(iii) प्रश्नावली सामान्य प्रश्नों से आरम्भ होकर विशिष्ट प्रश्नों की ओर बढ़नी
चाहिए।
(iv) प्रश्न सरल व स्पष्ट होने चाहिए।
(v) प्रश्न दोहरी नकारात्मक वाले नहीं होने चाहिए।
(vi) संकेतक प्रश्न नहीं होने चाहिए।
(vii) प्रश्न से उत्तर के विकल्प का संकेत नहीं मिलना चाहिए।

Q23. प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान  विधि क्या है ? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिये ?         
 उत्तरः प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि वह है जिसमें एक अनुसंधानकर्ता स्वयं अनुसंधान क्षेत्र में जाकर सूचना देने वालों से प्रत्यक्ष तथा सीधा संपर्क स्थापित करता है और आँकड़े इकट्ठे करता है। इस विधि की सफलता के लिए आवश्यक है कि अनुसंधानकर्ता को मेहनती, व्यवहारकुशल, निष्पक्ष और धैर्यवान होना चाहिए। उसे सूचना देने वाले की भाषा, रहन-सहन के स्तर और रीति-रिवाजों का भी ज्ञान होना चाहिए। उदाहरण के लिए, आप अपने शहर के किसी कारखाने में मजदूरों की आर्थिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए उनसे स्वयं मिलकर आँकड़े इकट्ठे करें तो इस तरीके को प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान कहा जाएगा।

उपयुक्तत :

यह विधि ऐसे अनुसंधानों के लिए उपयुक्त है:
(i) जिसका क्षेत्र सीमित है।
(ii) जहाँ आँकड़ों की मौलिकता अधिक जरूरी है।
(ii) जहाँ आँकड़ों को गुप्त रखना हो।
(iv) जहाँ आँकड़ों की शुद्धता अधिक महत्त्वपूर्ण है तथा
(v) जहाँ सूचना देने वालों से सीधा संपर्क करना जरूरी हो। 

गुण-

इस प्रणाली के निम्नलिखित गुण हैं:
(i) मौलिकता (Originality): इस विधि द्वारा संकलित आँकड़े मौलिक होते हैं।
(ii) शुद्धता (Accuracy): इस विधि से प्राप्त आँकड़ों में शुद्धता होती है क्योंकि अनुसंधानकर्ता स्वयं आँकड़ों को एकत्रित करता है।
(i.i) विश्वसनीय (Reliable): इस विधि द्वारा प्राप्त जानकारी पर पूर्ण रूप से विश्वास किया जा सकता है।
(iv) संबंधित सूचना (Related Information): इस तरीके द्वारा मुख्य सूचना के अतिरिक्त और भी कई उपयोगी सूचनाएँ प्राप्त हो जाती हैं।
(v) एकरूपता (Uniformity): इस विधि द्वारा आँकड़ों में एकरूपता पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है क्योंकि आँकड़े एक ही व्यक्ति द्वारा एकत्रित किए जाते हैं। एकरूपता के कारण उनकी तुलना में आसानी होती है।
(vi) लोचशील (Elastic): यह विधि लोचशील होती है क्योंकि अनुसंधानकर्ता आवश्यकतानुसार प्रश्नों को कम या ज्यादा कर सकता है।

दोष-

इस विधि में निम्नलिखित अवगुण हैं:
(i) वड़े क्षेत्रों के लिए अनुपयुक्त (Difficult to Cover Wide Areas): यह प्रणाली अनुसंधान के विस्तृत क्षेत्र के लिए अनुपयुक्त है।
(ii) व्यक्तिगत पक्षपात (Personal Bias): इस विधि में अनुसंधानकर्ता के व्यक्तिगत पक्षपात के कारण परिणामों के दोषपूर्ण होने का डर बना रहता है।
(iii) अधिक खर्चीली (Costly): इस विधि में धन अधिक खर्च होता है तथा मेहनत भी अधिक करनी पड़ती है।
(iv) सीमित क्षेत्र (Limited Coverage): इस विधि में सीमित क्षेत्र होने के कारण यह संभव है कि प्राप्त परिणाम, क्षेत्र की सारी विशेषताओं को प्रकट न कर सकें, अर्थात निष्कर्ष कम प्रतिनिधित्व वाले हों। इसके कारण गलत निष्कर्ष निकल सकते हैं।

Q24.अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान विधि क्या है ? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिये ?
 उत्तरः अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान वह विधि है जिसमें किसी समस्या से अप्रत्यक्ष रूप से संबंध रखने
वाले व्यक्तियों से मौखिक (Oral) पूछताछ द्वारा आँकड़े प्राप्त किए जाते हैं। ऐसे लोगों
को साक्षी (Witnesses) कहा जाता है। इस विधि में समस्या से प्रत्यक्ष संबंध रखने वाले व्यक्तियों से आँकड़े इकट्ठे नहीं किए जाते। उदाहरण के लिए, इस विधि में मजदूरों की आर्थिक
स्थिति के बारे में सूचना स्वयं मजदूरों से एकत्रित न करके मिल मालिकों या श्रम संघों से मौखिक
पूछताछ द्वारा प्राप्त की जाएगी

उपयुक्तता :-

यह विधि ऐसे अनुसंधान के लिए उपयुक्त है जिसमें
(i) अनुसंधान क्षेत्र अधिक व्यापक हो।
(ii) प्रत्यक्ष सूचना देने वालों से प्रत्यक्ष संपर्क संभव न हो।
(i) प्रत्यक्ष सूचना देने वाले अज्ञानता के कारण सूचना देने में असमर्थ हों तथा इस विधि का प्रयोग अधिकतर सरकारी या गैर-सरकारी समितियों या आयोगों द्वारा किया जाता है।
(iv) आँकड़े जटिल किस्म के हों एवं उनके लिए विशेषज्ञों की राय की जरूरत हो।

गुण-

इस प्रणाली के गुण निम्नलिखित हैं:
(i) विस्तृत क्षेत्र (Wide Coverage): यह प्रणाली विस्तृत क्षेत्र में लागू होती है।
(ii) कम खर्चीली (Less Expensive): इस विधि में धन, समय व परिश्रम कम लगते हैं।
(iii) विशेषज्ञों की सम्मति (Expert Opinion): इस विधि में विशेषज्ञों की राय तथा सुझाव प्राप्त हो सकते हैं।
(iv) निष्पक्षता (Free from Bias): इस विधि में अनुसंधानकर्ता के व्यक्तिगत पक्षपात का प्रभाव नहीं पड़ता।
(v) सरलता (Simple): यह विधि सरल होती है तथा आँकड़े संकलित करने में अधिक परेशानी नहीं उठानी पड़ती है।

दोष-

इस प्रणाली के अवगुण निम्नलिखित हैं:
(i) शुद्धता की कमी (Less Accurate): इस विधि द्वारा संकलित आँकड़ों में उच्च स्तर की शुद्धता नहीं होती क्योंकि सूचना देने वाले प्रायः लापरवाही बरतते हैं।
(ii) पक्षपात (Biased): इस विधि में सूचना देने वालों के व्यवहार में पक्षपात की संभावना होती है।
(ii) गलत परिणाम (Wrong Conddusion): इस विधि में साक्ष्य देने वालों को लापरवाही, पक्षपात तथा अज्ञानता के कारण गलत परिणाम निकलने की संभावना होती है।

Q25.प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान तथा अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान में अंतर का वर्णन कीजिये ?
 उत्तरः प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान तथा अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान में मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं:
(i) प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान में समस्या से प्रत्यक्ष संबंध रखने वाले लोगों से अनुसंधानकर्ता प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित करके सूचना प्राप्त करता है जबकि अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान में समस्या से अप्रत्यक्ष संबंध रखने वाले व्यक्तियों अर्थात साथियों से सूचना प्राप्त की जाती है।
(ii) प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान उस स्थिति में संभव है जिसमें अनुसंधान का क्षेत्र छोटा हो जबकि अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान विधि विस्तृत क्षेत्र के लिए अपनाई जाती है।
(iii) प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान के लिए अनुसंधानकर्ता को सूचना देने वालों की भाषा, रीति- रिवाज आदि का ज्ञान होना चाहिए जबकि अप्रत्यक्ष अनुसंधान में यह आवश्यक नहीं है।
(iv) प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान अधिक महँगी विधि है जबकि अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान कम महँगी विधि है।
(3) स्थानीय स्रोतों व संवाददाताओं से सूचना प्राप्ति इस विधि के अंतर्गत अनुसंधानकर्ता विभिन्न स्थानों पर स्थानीय व्यक्ति या विशेष संवाददाता नियुक्त कर देता है। वे अपने-अपने तरीकों से सूचनाएँ एकत्रित करते हैं और अनुसंधानकर्ता को भेज देते हैं।

उपयुक्तता :

यह विधि ऐसे अनुसंधान के लिए उपयुक्त है जिसमें
(i) आँकड़ों के निरंतर संकलन की आवश्यकता हो।
(ii) आँकड़े एकत्रित करने का क्षेत्र व्यापक हो।
(iii) आँकड़ों का प्रयोग पत्र-पत्रिकाओं, रेडियो, टेलीविजन आदि द्वारा किया जाना हो तथा
(iv) सूचनाओं की अत्यधिक शुद्धता की आवश्यकता न हो।

गुण-

इस विधि के मुख्य गुण निम्नलिखित हैं:
(i) मितव्ययिता (Economical): इस विधि में समय, धन तथा परिश्रम की बचत होती है। यह कम खर्चीली प्रणाली है।
(ii) विस्तृत क्षेत्र (Wide Coverage): इस विधि का क्षेत्र विस्तृत होता है क्योंकि दूर- दूर के स्थानों से लगातार सूचना प्राप्त की जा सकती है।
(iii) निरोतरता (Continuity): इस विधि द्वारा सूचनाएँ निरंतर प्राप्त होती रहती हैं।
(iv) विशेष परिस्थितियों में उपयोगी (Suitable for Special Purposes): यह कि विशेष परिस्थितियों में उपयोगी है। इसके द्वारा कृषि उत्पादकता, कीमतों के सूचकांक आदि का अनुमान अधिक उचित ढंग से लगाया जा सकता है।

दोष-

इस  विधि के मुख्य दोष  निम्नलिखित हैं:
(1) मौलिकता में कमी (Loss of Originality): इस विधि द्वारा संकलित आँकड़ों में मौलिकता नहीं रहती क्योंकि सूचना देने वाले के साथ व्यक्तिगत संपर्क नहीं होता।
(ii) एकरूपता का अभाव (Lack of Uniformity): इस विधि द्वारा संकलित आँकड़ों में एकरूपता का अभाव पाया जाता है क्योंकि आँकड़े विभिन्न संवाददाताओं द्वारा इकडे किए जाते हैं।
(ii) व्यक्तिगत पक्षपात (Personal Bias): इस विधि में आँकड़ों के संकलन पर व्यक्तिगत पक्षपात का प्रभाव पड़ता है।
(iv) शुद्धता की कमी (Less Accurate): इस विधि द्वारा प्राप्त सूचनाओं की शुद्धता में कमी होती है।
(V) संकलन में देरी (Delay in Collection): इस विधि द्वारा सूचनाओं की प्राप्ति में देरी होती है।




महत्वपूर्ण प्रश्न (IMPORTANT QUESTION)

एक अंक वाले प्रश्न-1

1. आँकड़े से आप क्या समझते हैं?
2.प्राथमिक आँकड़े का अर्थ बताइए?
3. द्वितीयक आँकड़े से क्या अभिप्राय है?
4.सांख्यिकी में 'जनसंख्या का अर्थ लिखो? 
5. प्रतिदर्श से आप क्या समझते हैं?
6.NSSO क्या है?
7. प्रतिदर्श त्रुटियाँ किसे कहते हैं?
8. अप्रतिदर्श त्रुटियाँ क्या होती है?
9. आंकड़ों के दो मुख्य स्रोत लिखिए।
10. प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान किसे कहते हैं।
11. यादृच्छिक प्रतिचयन को परिभाषित कीजिए।
12. द्वितीयक आंकड़ों के दो स्रोत लिखिए।


तीन/चार अंक वाले प्रश्न 

1.प्राथमिक एवं द्वितीयक आँकड़ों में अन्तर स्पष्ट करो?
2.समग्र तथा प्रतिदर्श में अन्तर बनाइए?
3.प्रतिचयन तथा अप्रतिचयन त्रुटियों में अन्तर स्पष्ट करो?
4.स्तरीय निदर्शन की उदाहरण देकर व्याख्या करो?
5. जनगणना विधि के दो गुण व दो दोष बताइए?
6.प्रतिदर्श विधि की चार कमियाँ लिखो?
7.यादृच्छिक प्रतिदर्श को समझाइए?
8.प्रयोगिक सर्वेक्षण किसे कहते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखो।
9.प्रतिदर्श के आवश्यक तत्व कौन से हैं?
10.भारत की जनगणना द्वितीयक आँकड़ों का मुख्य स्रोत है। वर्णन करो।
11.द्वितीयक आंकडे प्रयोग करते समय क्या-क्या सावधनियां अपनाई जाती है। समझाइए।
12.प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान तथा अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।
13.कुछ निश्चित स्थितियों में प्रतिदर्श आवश्यक है। स्पष्ट करें।
14.NSSO की रिपोर्ट तथा अन्य प्रकाशनों में क्या जानकारी शामिल होती है।
15.प्रश्नावली तथा अनुसूची में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

छ: अंक वाले प्रश्न-

1.प्रतिदर्श एकत्र करने की यादृच्छिक प्रतिचयन विधि का विस्तारपूर्वक वर्णन करो?
2. राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन के कार्यों की व्याख्या करो?
3.जनगणना विधि के गुण व दोषों का वर्णन करो?
4.वैयक्तिक साक्षात्कार विधि के गुण व दोषों का वर्णन करो?
5.प्रश्नावली किस कहते हैं? एक अच्छी प्रश्नावली की विशेषताएं लिखिए।
6.प्रतिदर्श सर्वेक्षण को जनगणना विधि से वरीयता दी जाती है व्याख्या कीजिए।
7.टेलीफोन साक्षात्कार विधि के गुण तथा दोष लिखिए।
8. आँकड़ों की परिभाषा दीजिए। आँकड़ों के मुख्य स्रोत कौन-से हैं?
9. प्राथमिक तथा द्वितीयक आँकड़ों के स्रोत में अंतर स्पष्ट कीजिए।
10. प्राथमिक तथा द्वितीयक आँकड़ों की परिभाषा दीजिए। प्रत्येक का एक उदाहरण भी दीजिए।
11. प्राथमिक तथा द्वितीयक आँकड़ों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
12. प्राथमिक आँकड़े एकत्रित करने की मुख्य विधियाँ कौन-सी हैं?
13. प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान से क्या अभिप्राय है? इसके गुण व अवगुण बताइए।
14. अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान से क्या अभिप्राय है? इसके गुण व अवगुण बताइए।





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