आर्थिक सांख्यिकी
अध्याय - 2 आँकड़ों का संकलन
Q1. आँकड़े से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: आँकड़ों से तात्पर्य उन संख्यात्मक तथ्यों से है जो पर्याप्त सीमा तक अनेक प्रकार के कारणों से प्रभावित होते हैं।
Q2. प्राथमिक आँकड़े का अर्थ बताइए?
उत्तर: जो आँकड़े अनुसंधान की क्रिया में प्रथम बार आरम्भ से अन्त तक बिल्कुल नए सिरे से एकत्रित किए जाते हैं, प्राथमिक आँकड़े कहलाते हैं।
Q3. द्वितीयक आँकड़े से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: जो आँकड़े अनुसंधानकर्ता स्वयं एकत्रित न करके किसी अन्य अनुसंधानकर्ता द्वारा एकत्रित आँकड़ों का प्रयोग करता है, द्वितीयक आँकड़े कहलाते हैं।
Q4. सांख्यिकी में 'जनसंख्या का अर्थ लिखो?
उत्तर: सांख्यिकी में किसी विषय से संबंधित सभी मदों के उस समूह को जनसंख्या या समग्र कहा जाता है जिसके विषय में जानकारी प्राप्त करनी होती है।
Q5. प्रतिदर्श से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: प्रतिदर्श आँकड़ों का ऐसा छोटा समूह है जो किसी समग्र का प्रतिनिधित्व करता है तथा उसी के आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं
Q6. NSSO क्या है?
उत्तर: राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन एक बड़ा संगठन है जो नियमित सामाजिक आर्थिक सर्वे करता है।
Q7. प्रतिदर्श त्रुटियाँ किसे कहते हैं?
उत्तर: प्रतिदर्श त्रुटियाँ, प्रतिदर्श आंकलन तथा समष्टि विशेष के वास्तविक बीच का अन्तर प्रकट करती है।
Q8. अप्रतिदर्श त्रुटियाँ क्या होती है ?
उत्तर: अप्रतिदर्श त्रुटियाँ वे त्रुटियाँ होती है जो सांख्यिकीय आंकड़ों के प्राप्त करने रिकार्ड करने अथवा सारणीयन करने के दौरान होता है।
Q9. आंकड़ों के दो मुख्य स्रोत लिखिए।
उत्तर: (i) प्राथमिक स्रोत
(ii) द्वितीय स्रोत
Q10. प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान किसे कहते हैं।
उत्तर: यह अनुसंधान विधि है जिसमें अनुसंधानकर्ता द्वारा व्यक्तिगत रूप से आंकड़ें एकत्र किये जाते है।
Q11.यादृच्छिक प्रतिचयन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर: यह अनुसंधान विधि है जिसमें अनुसंधानकर्ता द्वारा व्यक्तिगत रूप से आंकड़ें एकत्र किये जाते है।
Q12. द्वितीयक आंकड़ों के दो स्रोत लिखिए।
उत्तर: यादृच्छिक प्रतिचयन में प्रत्येक व्यक्ति के चुने जाने की संभावना समान होती है।
Q13. प्राथमिक और द्वितीयक आँकड़ों में अन्तर स्पष्ट कीजिये?
उत्तर: प्राथमिक आँकड़े
1. प्राथमिक आँकड़े वे होते हैं जो अनुसंधानकर्ता द्वारा अपने उद्देश्य के लियें सर्वप्रथम स्वयं एकत्रित किये जाते हैं।
2. प्राथमिक आँकड़ें मौलिक होते हैं क्योंकि अनुसंधानकर्ता स्वयं उनके मौलिक स्रोत से एकत्रित करता है।
3. प्राथमिक आँकड़ों को एकत्रित करने में अधिक धन समय और परिश्रम की आवश्यकता होती है।
4. यदि अनुसंधानकर्ता ग्यारहवी कक्षा के विद्यार्थियों से
पूछकर अर्थशास्त्र विषय की अंक सूची बनाता है तो इस तरह से प्राप्त आँकड़े प्राथमिक आंकड़े माने जायेंगे।
द्वितीयक आँकड़े
1. द्वितीयक आँकड़े वे होते हैं जो पहले एकत्रित किये जा चुके होते हैं। ये किसी दूसरे उद्देश्य के लिय किसी अन्य संस्था द्वारा संग्रहित किये हुये होती है।
2. द्वितीयक आँकड़े मौलिक नहीं होते क्योंकि अनुसंधानकर्ता उन्हें अन्य व्यक्तियों अथवा संस्थाओं के अभिलेखों से प्राप्त करता है।
3. द्वितीयक आँकड़ों को एकत्रित करने में अपेक्षाकृत कम धन, समय और परिश्रम की आवश्यकता होती है।
4. यदि अनुसंधानकर्ता कक्षा अध्यापक के माध्यम से स्कूल रिकार्ड जैसे अंक सूची या रिजल्ट रजिस्टर से जानकारी प्राप्त करके ग्यारहवीं कक्षा की अर्थशास्त्र की अंक सूची बनाता है तो यह द्वितीयक आँकड़े माने जायेंगे।
Q14. प्राथमिक आँकड़े एकत्र करने की वैयक्तिक साक्षात्कार विधि क्या है ? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजियें ?
उत्तर: वैयक्तिक साक्षात्कार विधि :- यह विधि तभी उपभोग में लाई जाती है जब शोधकर्ता सभी सदस्यों के पास जा सकता हो। इसमें शोधकर्ता आमने सामने होकर उत्तरदाता से साक्षात्कार करता है। शोधकर्ता को यह अवसर मिलता है कि वह उत्तरदाता को अध्ययन के उद्देश्य के बारे में बता सके तथा उत्तरदाता की किसी भी पूछताछ का जवाब दे सके।
गुण-
1. इस विधि से उच्चतम अनुक्रिया दर प्राप्त होती है।
2. इससे गलत व्याख्या तथा गलतफहमी से बचा जा सकता है।
3. उत्तरदाता की प्रतिक्रियाओं को देखकर कुछ संपूरक सूचनाये भी प्राप्त हो सकती है।
4. अस्पष्ट प्रश्नों के लिये स्पष्टीकरण का अवसर मिलता है।
दोष-
1. यह काफी खर्चीली होती है।
2. इसमें प्रशिक्षित साक्षात्कार कर्त्ताओं की जरुरत होती है।
3. इसमें सर्वेक्षण पूरा करने में काफी समय लगता है।
4. कभी कभी शोधकर्ता की उपस्थिति के कारण उत्तरदाता सही बात नहीं भी बताते।
Q15. जनगणना (संगणना) एवं प्रतिदर्श (निदर्शन) विधि में अन्तर कीजियें ?
उत्तर: जनगणना एवं प्रतिदर्श विधि में अन्तर :-
1. जनगणना विधि के अन्तर्गत सभी इकाईयों/व्यष्टियों को सम्मिलित किया जाता है।
2. चूंकि जनगणना विधि के अन्तर्गत सभी इकाईयों का अध्ययन किया जाता है इसलिए उच्च स्तर की परिशुद्धता पायी जाती है।
3. इस विधि में सभी इकाईयों का अध्ययन किया जाता है इसीलिये यह बहुत ही खर्चीली है। इसमें समय और श्रम भी अधिक लगता है।
4. जहां समग्र की इकाइयां विजातीय होती है वहां जनगणना विधि ही उपयुक्त होती है।
5. जहां अनुसंधान का क्षेत्र तुलनात्मक रुप से छोटा हो वहां जनगणना विधि उपुयक्त होती है।
प्रतिदर्श विधि:
1. प्रतिदर्श, समष्टि से चयनित किया गया एक छोटा समूह होता है जिसके द्वारा संबंधित सूचनाएं प्राप्त की जा सकती है।
2. चूंकि प्रतिदर्श विधि के अन्तर्गत केवल प्रतिनिधित्व इकाईयों का ही अध्ययन किया जाता है इसीलिए कम परिशुद्धता होती है। यद्यपि त्रुटियों की पहचान आसानी से करने के पश्चात उन्हें दूर किया जा सकता है।
3. इस विधि में केवल प्रतिनिधित्व इकाइयों का ही अध्ययन किया जाता है इसलिए यह विधि कम खर्चीली है। इसमें समय और श्रम भी कम लगता है।
4. जिन परिस्थितियों में संगणना विधि का प्रयोग नहीं किया जा सकता वहां प्रतिदर्श विधि की सहायता से ही सूचनायें प्राप्त की जाती है।
5. जहां समग्र की इकाइयां सजातीय होती हैं वहां प्रतिदर्श विधि ही उपयुक्त होती है।
Q16. प्राथमिक आँकड़ों की परिभाषा दीजिए।
उत्तरः प्राथमिक आँकड़े वे आँकड़े हैं जो अनुसंधानकर्ता अपने उद्देश्य के अनुसार पहली बार आरंभ से अंत तक एकत्रित करता है। ये आँकड़े उद्गम स्थान से एकत्रित किए जाते हैं।
Q17. द्वितीयक आँकड़ों की परिभाषा दीजिए।
उत्तरः वैसेल के अनुसार, “जो आँकड़े दूसरे व्यक्तियों द्वारा एकत्रित किए जाते हैं उन्हें द्वितीयक आँकड़े कहा जाता है।'' चूंकि ये आँकड़े पहले ही अन्य व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा एकत्रित किए जा चुके होते हैं इसलिए अनुसंधानकर्ता केवल उनका प्रयोग करता है।
Q18. आँकड़ों के स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तरः आँकड़ों के दो स्रोत हैं:
(i) आँकड़ों का प्राथमिक स्रोत, जिससे अभिप्राय उद्गम के स्रोत से आँकड़ों के संकलन से है। आपके सांख्यिकीय अध्ययन से संबंधित यह आपको सीधी या प्रत्यक्ष मात्रात्मक सूचना प्रदान करते हैं।
(ii) आँकड़ों का द्वितीयक स्रोत, जिससे अभिप्राय किसी उस एजेंसी या संस्था से आँकड़ों के संकलन से है जिसने पहले से ही सांख्यिकीय सर्वेक्षण द्वारा यह आँकड़े एकत्रित किए हुए हैं।
Q19. द्वितीयक आँकड़ों के दो मुख्य स्रोतों के नाम बताइए।
उत्तरः (i) सरकारी प्रकाशन: भारत की केंद्रीय तथा राज्य सरकारों के मंत्रालय तथा विभाग विभिन्न विषयों से संबंधित आँकड़े प्रकाशित करते रहते हैं।
(ii) अर्द्ध-सरकारी प्रकाशनः अर्द्ध-सरकारी संस्थाएँ (जैसे नगरपालिकाएँ, नगर निगम, जिला परिषद् आदि) भी कई मदों जैसे जन्म-मरण, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि से संबंधित आँकड़े प्रकाशित करती रहती हैं।
Q20. रेल्वे विभाग द्वारा रेलवे को प्रगति के विषय में जन आंकड़ों का प्रकाशन किया जाता है एक अनुसंधानकर्ता के लिए ये आँकड़े किस प्रकार के होंगे?
उत्तर: रेलवे विभाग द्वारा रेलवे की प्रगति के विषय में जिन आँकड़ों का प्रकाशन किया जाता है एक अनुसंधानकर्ता के लिए उन्हें द्वितीयक अंकड़े माना जाएगा।
Q21. कुछ वे पैरामोदर तथ्य लिखे जिन पर भारत को जनगणना संबंधी सांख्यिकीय सूचना प्रकाशित होती है।
उत्तर: (1) भारत में संख्या का आकार, वृद्धि दर तथा वितरण।
(ii) जनसंख्या प्रक्षेपण
(iii) जनसंख्या का घनत्व।
(iv) जनसंख्या की लिंग संरचना।
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